18 अक्तूबर 2010

पानी पानी पानी

पानी पानी पानी। अमृतधारा सा पानी।
बिन पानी सब सूना सूना, हर सुख का रस पानी।
पानी पानी पानी।
पावस देख पपीहा बोले, दादुर भी टर्राये।
मेह आओ ये मोर बुलाये, बादर घिर घिर आये।
मेघ बजे, नाचे बिजुरी और गाये कोयल रानी।
पानी पानी पानी।
रुत बरखा की प्रीत सुहानी, भेजा पवन झकोरा।
द्रुमदल झूमे, फैली सुरभि, मेघ बजे घनघोरा।
गगन समंदर ले आया, धरती को देने पानी।
पानी पानी पानी।
बाँध भरे, नदिया भी छलकीं, खेत उगाये सोना।
बाग बगीचे हरे भरे, धरती पर हरा बिछौना।
मन हुलसे, पुलकित तन झंकृत, खुशी मिली अनजानी।
पानी पानी पानी।
आकुल 18-10-2010

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