16 फ़रवरी 2011

गीत चाँदनी निराला सम्मान से अलंकृत वरिष्ठ साहित्यकार रघुनाथ मिश्र हैदराबाद से लौटे। अतिथि सत्कार से भावविभोर

हैदराबाद-सिकंदराबाद नगरद्वय के कवियों की संस्था ‘गीत चाँदनी’ ने परम्परानुसार बसंत पंचमी 8 फरवरी 2011 को जीवन के साठ बसंतदर्शी कवियों-साहित्यकारों को ‘गीत चाँदनी निराला’ सम्मान से अलंकृत किया। 2010 तक यह सम्मान नगरद्वय के साहित्यकारों कवियों तक ही सीमित था, किंतु 2011 से इस सम्मान के लिए नगरद्वय समेत पूरे भारतवर्ष से चर्चित कवियों साहित्यकारों को चुनने का फैसला किया गया। 2011 में 11 कवियों को उक्त सम्मान से सम्मानित किया गया। रघुनाथ मिश्र इस सम्मान से नवाज़े जाने वाले राजस्थान के पहले साहित्यकार हैं। श्री मिश्र ने अपनी इस यात्रा को एक प्रेरक अनुभव बताया। वे इस सम्मान को उनका नहीं जलेस कोटा का सम्मान मानते हैं, जो जलेस कोटा की लंबी अथक यात्रा के सांस्कृतिक पड़ाव का एक संतोषजनक परिणाम है। इस सम्मान से अलंकृत अन्य कवियों साहित्यकारों के बारे में श्री मिश्र ने बताया कि भोपाल की भेल इकाई के जलेस उपाध्‍यक्ष, जनकवि व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 किशन तिवारी मध्‍यप्रदेश से पहले एक मात्र साहित्‍यकार थे। जलेस के वरिष्ठ साहित्यकारों के सम्मान से इस समारोह में निर्णायकों की निष्‍पक्षता और जनवाद के प्रति मुखर उनकी प्रतिबद्धता को देख श्रीमिश्र गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।
बायें से दायें पहली पंक्ति में खड़े हुए श्री गोविन्‍द अक्षय, श्री नेहपाल वर्मा, श्री मोटियानी जी, श्री राधेश्‍याम शुक्‍ल, पद्मश्री मित्‍तल, -----, श्रीमती रत्‍नकला मिश्रा, दूसरी पंक्ति में खड़े हुए डॉ0 किशन लाल तिवारी, कवि सागर, कन्‍हैया लाल शर्मा, श्री खाण्‍डेकर, श्री अस्‍थाना और श्री दयाकृष्‍ण तीसरी पंक्ति में बैठे हुए डॉ0 मधुर नज्‍मी,श्री रघुनाथ मिश्र, श्री श्‍याम सखा, श्री अशोक अश्रु और श्री राजेंद्र मिलन

कोटा से 4 फरवरी को रवाना हुए श्रीमिश्र हैदराबाद 5 फरवरी की रात ढाई बजे हैदराबाद पहुँचे, जहाँ गोलकोण्डा दर्पण के यशस्वी सम्पादक श्री गोविन्द अक्षय एवं गीत चाँदनी संस्था के सक्रिय पदाधिकारी श्री जुगल बंग ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया और निर्धारित व्यवस्था के तहत समीप ही स्थित आइमैक्स इंटरनेशनल होटल में उनको पहुँचाया। 6 फरवरी को सवेरे से ही मीडिया, साहित्यकारों, विद्वानों, आयोजकों से मिलने मिलाने का दौर चला। श्री मिश्र संस्था द्वारा अतिथि सत्कार से भावविभोर हो गये। इस सम्मान को ग्रहण करने से पूर्व ही उनके साथ बिताये क्षण प्रतिक्षण को वे प्रेरक-सुखद और अविस्म रणीय बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी जलेस की प्रतिबद्धता को जैसे मुहर लग गयी। लगातार बोलने (एक्स‍टम्पोर) की उनकी वाक्चातुर्यता से वहाँ के लोग अभिभूत हो गये। आरंभ में उनसे मुलाकात में गीत चाँदनी के कार्यदर्शी 76 वर्षीय श्री नेहपाल वर्मा, श्री गोविन्द अक्षय, संयोजक श्री अमृत कुमार जैन, परामार्शदाता श्री दुलीचंद शशि तथा निराला सम्मान से सम्मानित होने वाले साहित्यकार श्री जगजीवन लाल अस्थाना,श्री दयाकृष्ण गोयल,श्री चंद्रकरण खाण्डेकर,और कन्हैयालाल शर्मा प्रमुख थे। पिछले 10 वर्षों से लगातार प्रकाशित प्रख्यात मासिक साहित्यिक पत्रिका गोलकोण्डा दर्पण के परामर्शदाता व गीत चाँदनी के कार्यदर्शी श्री नेहपाल वर्मा से उनकी पाँच घंटे चली साक्षात्कार मुलाकात में श्री वर्मा ने उनके साथ उनकी उपलब्धियों, जलेस में उनकी भूमिका, उनकी साहित्यिक यात्रा, उनके प्रकाशन, जनवाद में आम जनता में उनकी सहभागिता और जीवन के अविस्मीरणीय क्षणों के लिए लंबा साक्षात्कार लिया। बाद में श्री मिश्र को बताया कि इस साक्षात्का‍र को वे ‘ख़ाका’ स्तम्भ में गोलकोण्डा दर्पण के किसी अंक में प्रकाशित करेंगे। ख़ाका के बारे में उन्होंने बताया कि साक्षात्कार के लिए इस स्तम्भ में देश के विशिष्ट व वरिष्ठ साहित्यकार का व्यक्तित्व व कृतित्व पर सविस्तार वर्णन किया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार से श्री मिश्र स्वयं को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। उन्होंने इस सम्मान में अपनी शिरकत को एक चुनौती के रूप में लिया और वे इसमें सफल हुए। इस सम्मान समारोह में आयोजकों की प्रतिबद्धता, उनका जुझारूपन, उनकी तन्मयता, उनकी लगन, और एकजुटता को वे समारोह की सफलता का श्रेय देते हैं। बाहर से अलंकृत कवियों में मऊ उत्तर प्रदेश के डॉ0 मधुर नज़मी (मूल नाम कैलाश चौबे),आगरा से डॉ0 राजेंद्र मिलन, अशोक अश्रु, अमृतसर पंजाब से डॉ0 प्रेम सागर कालिया ‘सागर पंडित’, करनाल हरियाणा से डॉ0 श्या‍म सखा ‘श्याम’ शामिल थे। रेल्वे आरक्षण की समस्या के मध्य नज़र श्री मिश्र का हैदराबाद समारोह से दो दिन पूर्व पहुँच जाना उनकी साहित्यिक सांस्कृतिक यात्रा का एक सुखद अनुभव रहा जिसे नगरद्वय के साहि‍त्यकारों, आयोजकों और विद्वानों ने पूरा लाभ उठाया और श्री मिश्र ने सभी से मिल कर अपने अनुभव बाँटे और हिंदी साहित्य की भावी यात्रा के बटोही बन कर हिंदी को एक उच्च स्थान दिलाने के लिए एकजुट हो कर चलने में अपनी-अपनी सहभागिता पर लंबी चर्चा की। चर्चा के दौरान श्री मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘सोच ले तू किधर जा रहा है’, गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ की पुस्तकें ‘जीवन की गूँज’ और ‘पत्थरों का शहर’ और जलेस प्रकाशन की उनकी पुस्तक ‘जन-जन नाद’ श्री नेहपाल वर्मा को भेंट की। श्री वर्मा ने आश्वांसन दिया कि ‘आकुल’ की पुस्तक 'जीवन की गूँज' की समीक्षा भी गोलकोण्डा दर्पण में शीघ्र ही प्रकाशित की जायेगी और उनकी कृति पर चर्चा भी की जायेगी।
8 फरवरी को राजस्थानी स्नातक संघ भवन, आबिड्स, हैदराबाद में स्थित हॉल में सायंकाल निराला जयंती और गीत चाँदनी निराला सम्मान समारोह ‘वीणावादिनी वर दे---‘ की सुंदर और हृदयस्पर्शी प्रस्तुति से आरंभ हुआ। दोनों कार्यक्रमों की अध्यक्षता हैदराबाद से हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘स्वतंत्र वार्ता’ के सम्पादक डॉ0 राधेश्याम शुक्ल ने की। मुख्य अतिथि ‘कल्पना’ पत्रिका के पूर्व कला सम्पादक पद्मश्री जगदीश मित्तल, विशिष्ट अतिथि प्रख्यात समाजसेवी श्री रामगोपाल गोयनका, श्री किशन दोचानिया और श्री मधुर नज़मी के साथ आये युवा शायर एहसान रहे। इस कार्यक्रम के संजयोक द्वय श्रीमती रत्नकला और श्री गोविन्द अक्षय थे। सम्मान समारोह में सभी अलंकृत साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र, शॉल और पुष्प अर्पित कर सम्मानित किया गया।
समरोह के द्वितीय और अंतिम सत्र में साहित्यकार डॉ0 श्याम सखा श्याम की अध्यक्षता में सम्मानित कवियों व नगरद्वय के कवियों के साथ कवि सम्मेलन आरंभ हुआ। कवि सम्‍मेलन का संचालन वयोवृद्ध कार्यदर्शी श्री नेहपाल वर्मा ने किया। श्री मिश्र ने बताया कि कवि सम्मेलन में जनवाद पूरी तरह से उद्बोधित हो रहा था। तरन्नु्म में उनकी ग़ज़ल ‘कैसे आये हमको हँसी----‘ ने कार्यक्रम को ऊँचाई प्रदान की और सभी आमंत्रित और सम्मानित कवियों की रचनाओं से हैदराबाद की काव्य संध्या का रात साढ़े बारह बजे तक श्रोताओं ने भरपूर लाभ उठाया और अंत तक तालियों और वाह-वाह का शोर उमड़ता रहा। श्री मिश्रा ढेंरों स्‍मरणीय क्षणों को सहेज कर 11 फरवरी को कोटा लौटे और उन्‍होंने जलेस बैठक में अपने संस्‍मरण सुनाये। बैठक में अनेकों सदस्‍यों ने श्री मिश्र को निराला सम्‍मान पर बधाई दी और सुखद भविष्‍य की कामना की।

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