7 सितंबर 2012

हिन्‍दी के लिए





हिन्‍दी के लिए अब करना होगा दृढ़ निश्‍चय ही।

बहुत रहे संघर्षरत अब पर्व मनायें।
दूजी सीढ़ी पर हैं गौरव गाथा गाये।
इससे ही कुछ ऐसा यदि हो जाये कदाचित्,
जल्‍दी पहली सीढ़ी का हम उत्‍स मनायें।

अभियान चले दिग्‍विजयी हो हिंदी निश्‍चय ही।

चिट्ठे, पत्र-पत्रिका, अंतरजाल सुलभ।
जिनने किया प्रशस्‍त मार्ग ना अब दुर्लभ।
भाव शैली कैसी भी हो बस बोलें हिन्‍दी,
हिन्‍दी भाषा शब्‍द कोश की स्‍वर सौरभ।

आज बनी है जो स्थिति गर्वित निश्‍चय ही।

विश्‍वगुरु के लिए सन्‍मार्ग प्रशस्‍त करेगी।
फैलेगी ख्‍याति इसकी अतुलित अगणित,
बहुराष्‍ट्रीय कम्‍पनियों को विश्‍वस्‍त करेगी।

इक दिन शीर्ष शिखर होगी हिन्‍दी निश्‍चय ही। 

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