10 नवंबर 2012

भक्ति‍ में शक्ति‍

मन भज राम राम राम, सीता राम राम राम। छूटेगा मैली काया से, पहुँचेगा सुख धाम।।
राधे श्‍याम श्‍याम श्‍याम, सीता राम राम राम। मन भज राम राम राम, सीता राम राम राम।।
तन की चिन्‍ता, धन की चिन्‍ता, अब तक छोड़ सका ना। 
घर की चिन्‍ता, माया से तू, मन को मोड़ सका ना।
क्‍या पाया, क्‍या खोया, जाना, फि‍र भी ना पहचाना।
उलझा रहा परायों में, ना, अपनों का मन जाना।
अब तो मन उलझाले, ले ले, दो क्षण प्रभु का नाम।।
राधे श्‍याम श्‍याम श्‍याम, सीता राम राम राम। मन भज राम राम राम, सीता राम राम राम।।
काम, क्रोध, मद, लोभ, वासना, विषय, भोग सब पाये।
कुछ भी जाये साथ न तेरे, फि‍र क्‍यूँ मोह बढ़ाये।
मति बिगड़ी, तू बिगड़ा, बिगड़े अपने, हुए पराये।
जैसी करनी, वैसी भरनी, अब तू क्‍यों पछताये।
सुमिरन कर ले, अब तक भूला, ले ले हरि का नाम।।
राधे श्‍याम श्‍याम श्‍याम, सीता राम राम राम। मन भज राम राम राम, सीता राम राम राम।।
कल पर ही छोड़ा था सब कुछ, आज भी कल की पड़ी है।
कल कल करते गई उमरिया, मति भी अब बिगड़ी है।
कल की छाया आज दिखी है, साँस भी अब उखड़ी है।
जीवन का विश्‍वास डिगा है, कैसी विकट घड़ी है।
ऐसी राह दिखा मन प्रभु के, चरणों में हो शाम।।
राधे श्‍याम श्‍याम श्‍याम, सीता राम राम राम। मन भज राम राम राम, सीता राम राम राम।।



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