24 मार्च 2013

होली के रंगों में

होली के रंगों में
भरना होगा यह संज्ञान
बदरंग ना होगा जीवन का
कोई भी सोपान

जा पुरवाई उस घर
जिसमें खामोशी पसरी है
सूनी आँखों में जिनके
जख्‍मों की पीर भरी है
रंग लगा साथ लेकर आ
गुज़र गया तूफान

नई सुबह सूरज की किरणें
नई ऊर्जा भर जाये
डगमग पग-पग सँभले शावक
फि‍र चलने लग जाये
जीवन तो चलने का नाम
रुकना हार समान
  
उत्‍सव त्‍योहारों पर्वों पर
सौहार्द बढ़ाना होगा
मलिन कलुष विद्वेष सभी की
होली चढ़ाना होगा
किंचित् भी यदि सोच सके हम
नारी का उत्‍थान

बहलाया सबने दिन रात
भरते रहे खरीते
जो करते थे बातें बढ़-चढ़
बदलेंगे दिन रीते
हमें बदलना होगा ताकि
सनद रहे यह ध्‍यान
  
घिरे समस्‍याओं से ढेरों
खुद ही सम्‍हलना होगा
कौन करेगा हाली किसकी
खुद ही जुतना होगा।
दे कर आहुति होली में
संकल्‍प करें इंसान 

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