23 अप्रैल 2013

ऐसा क्‍यों नहीं हो सकता


ऐसा क्‍यों नहीं हो सकता हम सोचें और अपनायें।
अभिलाषाओं के खंडहर पर अभिनव महल बनायें।।

जन जाग्रति के लिए करें हम एक यज्ञ संकल्‍प।
समस्‍याओं के लिए बनायें एक अभिज्ञान प्रकल्‍प।
अनगिन लंबित कार्य योजनाओं का ढूँढ़ विकल्‍प।
करें निदान प्रशासन से मिल श्रेष्‍ठ प्रबंधन कल्‍प।

ऐसा क्‍यों नहीं हो सकता हम दसों दिशा महकायें।
वन, उपवन, अरण्‍य, हर पथ, नंदन कानन बन जायें।

प्रतिस्‍पर्द्धा का युग है हम कुछ तो समय निकालें।
आने वाली पीढ़ी के संग कदम ताल मिलालें।
करने को विकसित उनकी हर सोच बतायें मिसालें।
मार्ग प्रशस्‍त करें ले ध्‍येय दृढ़ इच्‍छा शक्ति बनालें।

ऐसा क्‍यों नहीं हो सकता हम कभी नहीं बँट पायें।
नफ़रत की आँधी पर मौसम प्रेम सुधा बरसायें।

श्रम शक्ति से हर संसाधन का उपयोग सरल है।
बस मन में इच्‍छा हो करने को सहयोग प्रबल है।
कोई भी क्‍यों न हो संकट मार्ग विकट दलदल है।
सौ हाथों के बल काँपेगा ध्‍येय यदि अविचल है।

ऐसा क्‍यों नहीं हो सकता हम एक साथ डट जायें।
प्रलय प्रभंजन के आगे हम महाकाल बन जायें।। 

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