21 जुलाई 2013

मौन के कारण

आज समाज क्‍यों टूटते जा रहे हैं
मौन के कारण
Feng shui chart of balanced home environment
परिवार क्‍यों बिखर रहे हैं
मौन के कारण
आज संस्‍कार क्‍यों खत्‍म हो रहे हैं
मौन के कारण
आज आदमी क्‍यों बदल रहा है
मौन के कारण
आज युवा क्‍यों आवेग में है
मौन के कारण
संवदेनाशून्‍य क्‍यों हो गया है इंसां
मौन के कारण
कोई नहीं बोलता कि क्‍यों कर कर रहे हो
ऐसा आज तक नहीं हुआ
बदलो मगर ऐसे भी नहीं कि
इतिहास बदल जाये
और तुम इतिहास में
उन पन्‍नों को ढूँढ़ भी न पाओ
जिसमें लिखी है हमारी
सभ्‍यता संस्‍कृति की अक्षुण्‍ण विरासतें
राष्‍ट्र गौरव गाथायें, परम्‍परायें
इसलिए सहेजकर चलें इन्‍हें
बहुत देर हो चुकी है
मौन के कारण
इतनी भी जीर्ण नहीं
हमारी शिक्षा कि
हम मिलें तो
आँखें न छलछलायें
कोई सामने आ जाये और
हम पहचान न पायें
बस अहं की दहलीज को
पार कर लौटने की आवश्‍यकता है
फि‍र वही बहारें होंगी
वही होली दिवाली के मंज़र होंगे
वही चहकती सुबह
महकती शामें होंगी
उँगली थामें बचपन होगा
कंधों को थामे यौवन होगा
और पलेगा फि‍र
अक्षुण्‍ण संस्‍कृति के वटवृक्ष के तले
हमारा जीवन
और बहेगी फि‍र सुरभित शान्‍त
पूरब की हवा।।  

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