15 अप्रैल 2014

आज के कुण्‍डलिया छंद


चादर छोटी या बड़ी,ढक तू पाँव समेट।
जगत चल रहा कर्ज से, हाथ धरे ना बैठ।
हाथ धरे ना बैठ, कर्म करता जा प्‍यारे।
इतना ही ले कर्ज, थके ना तू ना हारे।
कह 'आकुल' कविराय, ऐश करना न बिरादर।


हर नेता है कर रहा, जनता से मनुहार।
आम आदमी पिट रहा, किससे करे गुहार।
किससे करे गुहार, कौन सम्‍मान करेगा।
लगता है तूफान, बहुत नुकसान करेगा।
आम आदमी आज, अभी भी ना गर चेता।
और गिरेगी गाज, भ्रष्‍ट होगा हर नेता।।





14 अप्रैल 2014

दलितों के मसीहा

Baba saheb Dr B. R. Ambedkar
दलितों के मसीहा, संविधान निर्माता तुम्‍हें प्रणाम।
कोटि-कोटि जन-जन के, जीवनदाता तुम्‍हें प्रणाम।।

हे युगपुरुष, युगंधर, राष्‍ट्र प्रवर्तक, तुम अध्‍येता।
पुष्टिपुंज, ध्रुवतारा, धूमकेतु, तुम राष्‍ट्र प्रचेता।
न्‍यायप्रिय, न्‍यायिक और न्‍याय समर्थक हो तुम नेता।
अभियोजक, अभिरक्षक, तुम अभिभाषक, तुम अभिनेता।

निर्धन असहायों के सम्‍बल, ताता तुम्‍हें प्रणाम।
कोटि-कोटि जन-जन के, जीवनदाता तुम्‍हें प्रणाम।।

प्रतिपालक, प्रतिरक्षक हो, प्रतिनिधि, प्रतिभू, प्रन्‍यासी।
प्रतिस्‍थापक, प्रतिज्ञाता, प्रतिभाशाली प्रत्‍याशी।
तुम प्रतिपूज्‍य, प्रशासक, पाल, सदृश प्रद्योत प्रकाशी।
प्रखर, प्रधान, प्रभंजक, प्रबल, प्रभाव, प्रणीत, प्रभाषी।

करें अनुकरण और अनुसरण धाता तुम्‍हें प्रणाम। 
कोटि-कोटि जन-जन के जीवनदाता तुम्‍हें प्रणाम।।