5 अक्तूबर 2016

काक महिमा ( संवर्द्धित)

1.
(नर दोहा- 15 गुरु वर्ण, 18 लघु वर्ण)
कोयल कौ घर फोरि कै, घर-घर कागा रोय।
घडि़यल आँँसूम देखि कै, कोउ न वाकौ होय।।
2. 
(मर्कट दोहा- 17 गुरु वर्ण, 14 लघु वर्ण
बड़-बड़ बानी बोलि कै, कागा मान घटाय।
कोई वाकौ यार है, कोउ नाय बतलाय।।
3. 
(हंस दोहा- 14 गुरु वर्ण, 14 लघु वर्ण)
चिरजीवी की चेष्‍टा, जग ने करी बखान।
पिक बैरी सिय देइ दुख, खोयो सब सम्‍मान।।
4.
(मर्कट दोहा- 17 गुरु वर्ण, 14 लघु वर्ण
पिक के घर में सेव कै, कागा पिक ना होय। 
लाख मलाई चाट कै, कारा सित ना होय।।
5.
(नर दोहा- 15 गुरु वर्ण, 18 लघु वर्ण)
महनत करकै  घर बनै, पिक से यारी होय।
कागा सौं नहिं जीव है, ऐयारी में कोय।।
6.
(कच्‍छप दोहा- 8 गुरु वर्ण, 32 लघु वर्ण)
गउ, बामन बिन कनागत, दसा घाट बिन काक।
सद्गति बिन उत्‍तर करम, जीवन ना बिन नाक।।
7.
(त्रिकल  दोहा- 9 गुरु वर्ण, 30 लघु वर्ण)
काक म‍हत्‍तम जान लो, पंडित काकभुशंड।
इंदर पूत जयंत कौं, एक आँँख कौ दंड।।
8.
(करभ दोहा- 16 गुरु वर्ण, 16 लघु वर्ण)
आमिष भोजी कागला, कोउ न प्रीत बढ़ाय।
औघड़ सौं घूमे बनन, जीवन यूँ ही जाय।।
9.
(मर्कट दोहा- 17 गुरु वर्ण, 14 लघु वर्ण)
कोयल बुलबुल ना लड़ैं, दोनों मीठौ गायँ।
प्रीत बढ़ावै दोस्‍ती, कागा समझे नायँ।।
10.
(शरभ दोहा- 20 गुरु वर्ण, 8 लघु वर्ण)
'आकुल' या संसार में, तू कागा से सीख।
ना काहू से दोस्‍ती, ना काहू से भीख।।

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