11 नवंबर 2016

आगे बढ़ो

छंद- गीतिका छंद
पदांत- आगे बढ़ो
समांत- बे.....अक
मापनी
2122 2122 2122 212

गलतियों को भूल कर तुम, बेहिचक आगे बढ़ो.
हादसों को भूल कर तुम, बेझिझक आगे बढ़ो.

पीछेमुड़ के देख कर तुम डगमगाना मत कभी
फासलों को भूल कर तुम, बेछिटक आगे बढ़ो.

बारिशों के मौसमों में, आँधियों से क्या गिला,
मुश्किलों को भूल कर तुम, बेखटक आगे बढ़ो.

हाथ पर रख हाथ बैठे, तो नहीं अवसर मिलें,
गर्दिशों को भूल कर तुम, बेधड़क आगे बढ़ो.

बात हो जब जिंदगी औ मौत की आकुलसुनो,
हर सबक़ को भूल कर तुम, बेसबक़ आगे बढ़ो

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