4 नवंबर 2016

जिंदगी के सिलसिले

जिंदगी के अजीब सिलसिले हैं.
प्रेमियों के जब भी दिल मिले हैं.

आग लग गई है जल उठा चमन,
फिर भी चले दिल के सिलसिले हैं.

चाँद को चकोर की चाहतों के
अभी तक तो मिले नहीं सिले हैं.

मार कर मन जिया अगर जहाँ में
उसको खुद से सैंकड़ों गिले हैं.

खुद बनाता है जो अपना जहाँ
आकुलमिलेे उसे ही' काफिले हैं.

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