10 दिसंबर 2016

भारत माता

(कुकुभ छंद) गीतिका 

गीतिका है इसलिए पदांत और समांत अनिवार्य हैंं. दो दो पद में तुकांत (विषम चरण में) का नियम है. अर्द्ध मात्रिक छंद 2222 2222 // 2222 222 (16-14)  अंत में दो लघु के बाद दो गुरु अनिवार्य, अंतरा विधा से मुक्‍त रखा जा सकता है. 

पदांत- धरती है भारत माता,  समांत- आनों की। 



रणबाँकों के बलिदानों की, धरती है भारत माता
आजादी के दीवानों की धरती है भारत माता.

गंगा-यमुना की संस्‍कृति से पोषित है भारत माता
ऋषि मुनियों की संतानों की धरती है भारत माता.

उत्‍ताल तरंगों से देता है जोश समंदर तीन तरफ,
हिमगिरि के सुदृढ सानों की धरती है भारत माता.

वेद पुराणों उपनिषदों और’ रामायण की गाथाओं,
अवतारों के अवदानों की धरती है भारत माता.

गाते हम स्वतंत्रता और’ गणतंत्र दिवस के अवसर पर
उन आजादी के गानों की धरती है भारत माता

राष्‍ट्रीय’ पर्वों त्‍योहारों पर गले मिलें मंदिर मस्जिद
सर्वधर्म के सम्‍मानों की धरती है भारत माता

‘आकुल’ निर्भय फहराये ध्‍वज, चैन अमन की पवन चले
देश प्रेम के दीवानें की धरती है भारत माता.

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