9 जनवरी 2017

अगर आप से दिल लगाया न होता

वाचिक भुजंग प्रयात 
मापनी -- 122 122 122 122

(गीतिका)
पदांत - न होता
समांत - आया

अगर आप से दिल लगाया न होता.
हमें जिंदगी ने सताया न होता.

मुलाकात हर इक शरारत हुई थी,
हमें काश यह सब बताया न होता.

बहुत दूर तक आ गये अब सफर में
हमें चाहतों से जताया न होता.

गुजारे नहीं दिन कभी गर्दिशों में
जहाँ ने हमेशा जिताया न होता.

अगर जानते पूजते न बुत बनाके
महल ताज जैसा बनाया न होता. 

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