13 अगस्त 2017

सत्‍य समझाने की बात कर


गीतिका
पदांत- की बात कर 
समांत- आने
मापनी- 2212 2212 2212 12

पिछड़े हुए को साथ में लाने की’ बात कर.
भटके हुए को राह दिखलाने की’ बात कर.

ढेरों मिलेंगे शूल हर पथ पर विकास के,
हारे हुए को हाथ दे आने की’ बात कर.

मिलती कहाँ हैं शांति मन में तृप्‍त जो नहीं,
बहके हुए को सत्‍य समझाने की’ बात कर.

अब पक्षियों की चहक भी  होने लगी है’ कम,
उजड़े हुए घर उन के’ लौटाने की’ बात कर.

कम हो रहे हैं बाग वन दूषित हवा चले,
सूखे हुए मधुबन को’ सरसाने की’ बात कर.

सीमित रहें ज्‍योनार हों न बुफे के’ चोंचले,
उच्छिष्‍ट हुए’ भोजन को’ बँटवाने की’ बात कर.

‘आकुल’ प्रकृति से नेह रख, धरती को’ तू बचा,
छाये हुए मेघों को’ बरसाने की’ बात कर.  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें