15 अगस्त 2017

आवाज़ दो हम एक हैं


  (देश भक्ति गीत)

पंद्रह अगस्‍त पर्व का यह दिन महान है.
उदित हुए सूरज को’ भी यह स्‍वाभिमान है.
यह उस धरा को दे रहा प्रकाश युगों से,
जहाँ देश सर्व धर्म से प्रकाशमान है.  

आओ चलो प्रकाश ये’ घर घर में’ फैलायें,  
आओ नए भारत का’ एक स्‍वप्‍न सजायें.
सोच लें हम एक हैं और एक रहेंगे,  
आओ नए भारत को’ एक स्‍वर्ग बनायें.  

राष्‍ट्र के इतिहास का यह क्षण महान है.
उदित हुए सूरज को भी’ यह स्‍वाभिमान है.   

ऋतुएँ यहाँ आती हैं’, रंग-रूप बदल के.
हवाएँ भी’ बहती हैं’, हर दिशा में झूम के.
होली, दिवाली, ईद, मनाते गले’ मिल कर,
संस्‍कृति यहाँ पलती हैं’, दिलों में’ हर एक के.

बलिदानों से’ वीरों के’ देश वर्द्धमान है.
उदित हुए सूरज को’ भी यह स्‍वाभिमान है.

निर्बल नहिं कर पायेगा’ दुश्‍मन कभी कोई.  
धूमिल नहिं कर पायेगा’ इसकी छवि कोई.
संगम हैं’ गंगा यमुना’ सरस्‍वती का यहाँ,
दूषित न कर पाए’गा मातृभूमि को’ कोई.
पवित्र धर्म ग्रंथों से मिला ये ज्ञान है.  
उदित हुए सूरज को’ भी यह स्‍वाभिमान है.

‘आवाज़ दो’ हम एक हैं’ और एक रहेंगे.
आतंकियों के’ अब नहीं अपराध सहेंगे.
क्‍या मिलेगा खून-खराबे से ऐ दुश्‍मन,
अब, प्‍यार से मिल, हर विषाद दूर करेंगे.

जो भी चला पथ शांति का विकासमान है. 
उदित हुए सूरज को’ भी यह स्‍वाभिमान है.


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