1 नवंबर 2017

अब हो चर्चा का विषय (गीतिका)

पदांत- अब हो चर्चा का विषय
समांत- आहें

ताज चाहें या न चाहें, अब हो चर्चा का विषय.
ताज पर कुत्सित निगाहें, अब हो चर्चा का विषय.

आतताइयों ने भी न, खंडहर किया इसे कभी,
आज क्यों मचली हैंबाहें, अब हो चर्चा का विषय.

अभी तलक तो पीठ पीछे, चाँद को बख्शा नहीं,
चाँद की खातिर क्‍युँ आहें, अब हो चर्चा का विषय.

विश्व धरोहर है यह फिर, क्यों हो अब छींटाकशी,
ताज की अब हैं न राहें, अब हो चर्चा का विषय.

राजनीति हो या नाम की खातिर ये है गुनाह,
क्‍यों बुराई क्‍यों सराहें, अब हो चर्चा का विषय.

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