15 फ़रवरी 2018

अतुलित ऊर्जा ले प्राची से, जब सूर्योदय होता है (गीतिका)

छंद- ताटंक (16,14 अंत 3 गुरु से)
पदांत- होता है
समांत- उदय

अतुलित ऊर्जा ले प्राची से, जब सूर्योदय होता है.
उस ऊर्जा से जन जीवन का, तब अभ्‍युदय होता है.

इस ऊर्जा से चाँद सितारे, प्रकृति धरा भी हैं रोशन,
अंतिम व्‍यक्ति बने ऊर्जस्‍वी, तब अंत्‍योदय होता है.

युगों युगों से धरती घूमे, बाँट रही घर घर ऊर्जा,
जब लेते सापेक्षिक ऊर्जा, तब भाग्‍योदय होता है.

ऊर्जा का प्राकृतिक स्रोत यह, राष्‍ट्रोन्‍नति का मूल बने,
इस ऊर्जा से सर्वतोभद्र, तब सर्वोदय होता है.

प्रकृति ने दिये इस ऊर्जा से, शोक अशोक स्‍वभाव कई,
कभी कभी तो सूर्य स्‍वयं भी, तो ग्रस्तोदय होता है.

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