7 मार्च 2018

है युगधर्म युगीन प्रथाओं का मनुष्‍य निर्वहन करे (गीतिका)


आधार छंद- लावणी 16,14. अंत गुरु
समांत- अन
पदांत- करें

है युगधर्म युगीन, प्रथाओं का मनुष्‍य निर्वहन करें.  
संस्‍कृति-संस्‍कारों का भी, समयानुकूल अध्‍ययन करें.

दे गीता का ज्ञान, किया चैतन्‍य कृष्‍ण ने बन योगी,
मर्यादा से रामादर्श बने तथैव अनुकरन करें.

राजा के अनुकूल हो प्रजा, हो उद्देश्‍य शांति का यह,
इसलिए ही चाणक्‍य विदुर की नीतियाँ सब मनन करें.

यह भी है युगधर्म पढ़ें इतिहास कि कैसे बदले युग ,
कर विवेचना सूत्रपात हो, नवयुग का आचमन करें.

वाद-विवाद, कुतर्क व्‍यर्थ में, व्‍यय न करें अपनी ऊर्जा,
ऋतु संहार करें न प्रकृति का, उल्‍लंघन भी’ न सहन करें.

‘आकुल’ हर युग ने इक पाठ पढ़ाया मानव जीवन को,
दे जाओ इतिहास एक हर, युग जिसका अनुसरन करें.

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